Teacher TET Latest News: सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक पात्रता परीक्षा पास न करने वाले शिक्षकों को बड़ी राहत दी है लेकिन भविष्य में नौकरी के लिए यह परीक्षा अनिवार्य कर दी गई है कोर्ट टीईटी पास न होने के कारण नौकरी से बर्खास्त होने वाले शिक्षकों को राहत देते हुए उनकी सेवा बहाल करने का आदेश दे दिया है सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के लिए बदले नियमों को और बढ़ाए गए समय को आधार बनाते हुए नौकरी के दौरान शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने को पर्याप्त मानते हुए दोनों शिक्षकों को बर्खास्त की को गलत ठहराते हुए उनकी सेवा बहाल करने का आदेश जारी किया है क्योंकि उन्होंने बाद में परीक्षा पास कर ली थी जो 31 मार्च 2019 की निर्धारित समय सीमा के भीतर था।
सुप्रीम कोर्ट से मिली शिक्षकों को बड़ी राहत
हम आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूर्ण और के. विनोद चंद्रन की पीठ ने उत्तर प्रदेश कानपुर के सहायता प्राप्त ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाई स्कूल के शिक्षक उमाकांत और एक अन्य याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के लिए नए नियम के अनुसार 31 मार्च 2019 तक का समय दिया गया था जबकि दोनों शिक्षकों ने 2011 की शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर ली थी इसके साथ-साथ 2014 में भी टेट परीक्षा पास कर ली थी यहां तक की बर्खास्त की तारीख 12 जुलाई 2018 थी उस समय दोनों शिक्षक टेट पास कर चुके थे ऐसे में उन्हें बर्खास्तगी की तारीख पर अयोग्य मानना पूरी तरह से गलत है।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने उन दो सहायक शिक्षकों की बर्खास्तगी को रद्द कर दोनों शिक्षकों को बड़ी राहत दी है जिन्हें नियुक्ति के समय टेट पास न होने के कारण 2018 में नौकरी से निकाल दिया गया था यह शिक्षक शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद नियुक्त हुए थे और उन्होंने टेट पास नहीं किया था लेकिन इन शिक्षकों ने नौकरी करते हुए ही टेट परीक्षा पास कर ली थी लेकिन इसके बाद भी विभाग ने उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया क्योंकि विभाग का कहना था की नौकरी के समय उनके पास शिक्षक पात्रता परीक्षा का प्रमाण पत्र नहीं था शीर्ष अदालत ने कहा कि बदले नियमों के अनुसार शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के लिए 31 मार्च 2019 का समय दिया गया था जबकि दोनों शिक्षकों ने 2011 की शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर ली थी।
शिक्षकों को अयोग्य मानकर बर्खास्त कर देना गलत
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों की बर्खास्तगी को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के खंडपीठ और एकल पीठ का आदेश खारिज कर दोनों शिक्षकों की बर्खास्तगी का आदेश भी रद्द किया है सुप्रीम कोर्ट से दोनों शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से बहाल करने का आदेश जारी कर दोनों शिक्षकों को किसी भी तरह के बकाया वेतन का भुगतान नहीं किए जाने के लिए भी कहा लेकिन बहाली के बाद भी उनकी नौकरी पहले जैसे जारी नौकरी की तरह ही मानी जाएगी और उन्हें जूनियर भी नहीं माना जाएगा सुप्रीम कोर्ट ने दोनों शिक्षकों को यह कहकर बड़ी राहत प्रदान की है कि बर्खास्तगी के समय दोनों शिक्षक टेट पास कर चुके थे ऐसे में उन्हें अयोग्य मानकर बर्खास्त कर देना पूरी तरह से गलत है उन दोनों शिक्षकों की बर्खास्तगी को गलत ठहराते हुए कोर्ट ने उनकी सेवा बहाल करने का आदेश जारी किया है।
जानें क्या है पूरा मामला
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन ने 23 अगस्त 2010 को कक्षा 1 से लेकर 8 तक के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा अनिवार्य कर दी थी यह एक न्यूनतम योग्यता निर्धारित की गई थी इसके बाद 25 जून 2011 को सहायता प्राप्त विद्यालय ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाई स्कूल के सहायक शिक्षकों के चार पदों पर रिक्तियां निकाली गई थी दोनों याचियों ने भी आवेदन किया था और उत्तर प्रदेश में पहली बार 13 नवंबर 2011 को टीईटी परीक्षा आयोजित हुई थी जिसमें एक याची ने 25 नवंबर 2011 को शिक्षक पात्रता परीक्षा पास की थी इसके बाद 13 मार्च 2012 को बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दोनों शिक्षकों का चयन मंजूर कर लिया था और उन्हें नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिया था दोनों शिक्षकों ने 17 मई 2012 को सहायक शिक्षक के पद पर नौकरी ज्वाइन की थी
कोर्ट ने विभाग के आदेश को माना गलत
दूसरे याची ने भी शिक्षक पात्रता परीक्षा 24 मई 2014 को पास कर ली थी और इसी बीच आरटीई एक्ट की धारा 23 में संशोधन 9 अगस्त 2017 को किया गया जिसमें कहा गया की 31 मार्च 2015 तक नियुक्त शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना होगा वे इसे 4 साल के भीतर पास कर न्यूनतम योग्यता हासिल कर सकते हैं शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के लिए 31 मार्च 2019 का समय दिया गया था लेकिन 12 मार्च 2018 को दोनों शिक्षकों की नियुक्ति के समय टेट पास न होने के कारण बर्खास्त किया गया था और उनकी नियुक्ति का आदेश वापस ले लिया गया था जिसको उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी इसलिए कोर्ट ने माना कि शिक्षकों ने 31 मार्च 2019 तक निर्धारित समय सीमा के भीतर परीक्षा पास कर ली थी इसलिए उन्हें अयोग्य मानना पूरी तरह से गलत है।







