सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! सरकारी कर्मचारियों को लगानी होगी बायोमैट्रिक अटेंडेंस Digital Attendance Suprem Court News

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Digital Attendance Suprem Court News: उड़ीसा के प्रधान महालेखाकार कार्यालय में बायोमेट्रिक उपस्थित प्रणाली को लागू करने के सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है और कर्मचारियों की दलील को खारिज कर दिया है सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि डिजिटल अटेंडेंस किसी भी तरीके से गलत नहीं है खासकर अगर कर्मचारियो से परामर्श लिए बिना डिजिटल अटेंडेंस लागू की गई है तो भी यह गलत नहीं है सरकार अपने कर्मचारियों की दैनिक उपस्थिति लेने के लिए डिजिटल प्रणाली को लागू कर रही है देश भर में कई राज्यों में डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम लगाया गया है जबकि कई राज्यों में सरकार अपने कर्मचारियों की डिजिटल अटेंडेंस लेने की तैयारी कर रही है सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के बायोमेट्रिक उपस्थित प्रणाली पर अपनी मोहर लगा दी है सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और कोर्ट ने कार्यालय को अपनी विभिन्न परिपत्रों में उल्लेखित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली को पूरी तरह से लागू करने की अनुमति दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई बायोमेट्रिक उपस्थिती प्रणाली पर मुहर

सुप्रीम कोर्ट ने बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली पर मोहर लगा दी है कोर्ट के इस फैसले में कहा गया है कि बायोमेट्रिक उपस्थित प्रणाली शुरू करने वाली परिपत्र कर्मचारियों से पहले बिना परामर्श के ही जारी किया गया था सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उड़ीसा के प्रधान महालेखाकर कार्यालय में 1 जुलाई 2013 से विभिन्न परिपत्रों के माध्यम से बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू हुई थी न्यायालय ने अपने 29 अक्टूबर के आदेश में न्यायालय ने कहा कि मामले के तथ्य और परिस्थितियों के मध्य नजर जब बायोमेट्रिक प्रणाली सभी तरह से लाभदायक है तो केवल इस आधार पर उसे बिल्कुल भी अवैध नहीं कहा जा सकता की इसके लिए कर्मचारियों से परामर्श नहीं लिया गया है इसलिए इस प्रणाली को लागू करना किसी भी तरह से अवैध नहीं है।

कर्मचारियों से परामर्श न लेने से प्रणाली अवैध नहीं

इस मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के उसे आदेश को पूरी तरह से खारिज कर दिया और कोर्ट ने कार्यालय को अपने विभिन्न परी पत्रों में उल्लेखित डिजिटल अटेंडेंस प्रणाली को पूरी तरह से लागू करने का आदेश दे दिया है इसमें नोट किया कि इन परिपत्रों में शुरू में कर्मचारियों द्वारा केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के समक्ष एक मूल आवेदन तैयार करके चुनौती दी गई लेकिन उसे चुनौती को इस आधार पर पूरी तरह से रद्द कर दिया गया कि यह विचारणीय नहीं है न्यायाधिकरण के आदेश से संतुष्ट न होने वाले कर्मचारी हाईकोर्ट में पहुंच गए थे जिसने उनके पक्ष में फैसला किया था फिर जब 29 अक्टूबर को 10 साल के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र की याचिका पर पुनःसुनवाई की।

हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

इस मामले की सुनवाई के दौरान वकील ने कहा कि कर्मचारी इस बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू करने के बिल्कुल भी विरोध में नहीं है वकील ने कहा कि यह कर्मचारी और विभाग दोनों के समग्रहित में है कर्मचारियों की ओर से पक्ष रखने वाले वकील इस बात से पूरी तरह से सहमत थे कि अब कर्मचारी कार्यालय में बायो मैट्रिक उपस्थित प्रणाली लागू करने के विरोध में नहीं है इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अपना आदेश देते हुए कहा कि जब कर्मचारियों को बायोमेट्रिक प्रणाली लागू करने से किसी भी तरह की आपत्ति नहीं है तो हमारा मानना है कि इस संबंध में कोई भी विवाद अब बाकी नहीं रह गया है इस तरह प्रणाली को लागू करने के लिए विभाग आगे बढ़ सकता है और पूरी तरह से बायोमैट्रिक अटेंडेंस लागू कर सकता है क्योंकि इस प्रणाली को शुरू करने के लिए विभाग ने किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है।